अतिरिक्त >> दीनदयाल उपाध्याय दीनदयाल उपाध्यायनितिन गोयल
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प्रस्तुत है दीनदयाल जी की जीवनी नितिन गोयल के द्वारा .......
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
दीनदयाल उपाध्याय
दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर, 1916 को मथुरा जिले के छोटे से गाँव
नगला चंद्रभान में हुआ था। इनके पिता का नाम भगवती प्रसाद
उपाध्याय
था। माता रामप्यारी धार्मिक वृत्ति की थीं।
रेल की नौकरी होने के कारण उनके पिता का अधिक समय बाहर बीतता था। कभी-कभी छुट्टी मिलने पर ही घर आते थे।
थोड़े समय बाद ही दीनदयाल के भाई ने जन्म लिया जिसका नाम शिवदयाल रखा गया। पिता भगवती प्रसाद ने बच्चों को ननिहाल भेज दिया। उस समय उनके नाना चुन्नीलाल शुक्ल धनकिया में स्टेशन मास्टर थे। मामा का परिवार बहुत बड़ा था। दीनदयाल अपने ममेरे भाइयों के साथ खाते-खेलते बड़े हुए।
3 वर्ष की मासूम उम्र में दीनदयाल पिता के प्यार से वंचित हो गये । पति की मृत्यु से माँ रामप्यारी को अपना जीवन अंधकारमय लगने लगा। वे अत्यधिक बीमार रहने लगीं। उन्हें क्षय रोग लग गया। 8 अगस्त सन् 1924 को रामप्यारी बच्चों को अकेला छोड़ ईश्वर को प्यारी हो गयीं। 7 वर्ष की कोमल अवस्था में दीनदयाल माता-पिता के प्यार से वंचित हो गये।
एक बार दीना-रात्रि के 10-11 बजे के करीब मामी की गोद में बैठे थे। अन्य महिलाएं भी आपस में बैठी घरेलू बातचीत कर रही थी। परिवार के सभी सदस्य जग रहे थे। एकाएक घर में हलचल हुई। पता चला डाकुओं के गिरोह ने घर पर हमला बोल दिया है डाकू उसी कमरे में घुस आये जहाँ महिलाएं बैठी थी। एक डाकू ने दीना को मामी की गोद से उठाकर नीचे पटक दिया और उनकी छाती पर पाँव रखकर बोला,‘‘घर के सभी गहने-नकदी हमारे हवाले कर दो वरना बच्चे को जान से मार डालेगें।’’
रेल की नौकरी होने के कारण उनके पिता का अधिक समय बाहर बीतता था। कभी-कभी छुट्टी मिलने पर ही घर आते थे।
थोड़े समय बाद ही दीनदयाल के भाई ने जन्म लिया जिसका नाम शिवदयाल रखा गया। पिता भगवती प्रसाद ने बच्चों को ननिहाल भेज दिया। उस समय उनके नाना चुन्नीलाल शुक्ल धनकिया में स्टेशन मास्टर थे। मामा का परिवार बहुत बड़ा था। दीनदयाल अपने ममेरे भाइयों के साथ खाते-खेलते बड़े हुए।
3 वर्ष की मासूम उम्र में दीनदयाल पिता के प्यार से वंचित हो गये । पति की मृत्यु से माँ रामप्यारी को अपना जीवन अंधकारमय लगने लगा। वे अत्यधिक बीमार रहने लगीं। उन्हें क्षय रोग लग गया। 8 अगस्त सन् 1924 को रामप्यारी बच्चों को अकेला छोड़ ईश्वर को प्यारी हो गयीं। 7 वर्ष की कोमल अवस्था में दीनदयाल माता-पिता के प्यार से वंचित हो गये।
एक बार दीना-रात्रि के 10-11 बजे के करीब मामी की गोद में बैठे थे। अन्य महिलाएं भी आपस में बैठी घरेलू बातचीत कर रही थी। परिवार के सभी सदस्य जग रहे थे। एकाएक घर में हलचल हुई। पता चला डाकुओं के गिरोह ने घर पर हमला बोल दिया है डाकू उसी कमरे में घुस आये जहाँ महिलाएं बैठी थी। एक डाकू ने दीना को मामी की गोद से उठाकर नीचे पटक दिया और उनकी छाती पर पाँव रखकर बोला,‘‘घर के सभी गहने-नकदी हमारे हवाले कर दो वरना बच्चे को जान से मार डालेगें।’’
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